- 3 Posts
- 0 Comment
http://vedicbharat.com/2013/02/vedicbharat-vs-india.html
दोस्तों सत्य को अपने निजी स्वार्थ हेतु कुचल डालने वालो की कोई कमी नही है ! ऐसी प्रजाति प्राचीन युगों से सदा समय समय पर अस्तित्व में आती रही है । इस युग मे मैं बात कर रहा हूँ उन दुष्टो की जो हमारी प्रभु की निशानी “राम-सेतु ” को तोड़ने पर तुली हुई है क्योंकि इन दुष्टो के पापा अमेरिका ने इनको जोरदार लोभ दिया हुआ है।
ये लोग राम सेतु को तोड़ कर इसका मलबा अमेरिका को बेचना चाहतें है क्योंकि सेतु के आसपास तथा निचे के हिस्सों में काफी मात्रा में युरेनियम उपस्थित है जिससे हजारो सालों तक उचित मात्रा में कम दाम पर बिजली बनाई जा सकती है |
इन लोगो का जब विरोध किया जाता है तो ये कहते है की कोन है राम? ये कब हुए ? अरे सुअरो तुमने जब जब सत्य को झुटलाया है तुम्हारे कान के निचे थाप पड़ा है |
->इन दुष्टो ने एक समय श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका को भी झुटलाया था परन्तु परिणाम क्या निकला ?
सत्य और ईश्वर पर आस्था रखने वाले लोगो ने इसके संदर्भ में शोध व अध्ययन किये और पूरी की पूरी नगरी समुद्र के निचे पाई गई । इन दुष्टो की शकल तो तब देखने वाली थी जब गोरी चमड़ी वाले इन के पापाओं ने भी इस बात पर मुहर लगाई और कार्बन डेटिंग द्वारा नगरी के अवशेषों के आयु लगभग 12000 वर्ष बताई |
-> इन दुष्टो ने एक समय महाभारत के युद्ध को भी नाकारा, परिणाम क्या रहा? शोध के दोरान कई प्रमाण सामने आये तथा एक गोरी चमड़ी वाले भाईसाब ने इस बात को मुहर लगाई तब इन नादानों ने मानी |
Julius Robert Oppenheimer जिन्हें परमाणु बम का जनक भी कहा जाता है | वैदिक सभ्यता में अत्यधिक रूचि के कारण इन्होने अपने एक मित्र Arthur William Ryder, जोकि University of California, Berkeley में संस्कृत के प्रोफेसर थे, के साथ मिल कर 1933 में भगवद गीता और महाभारत का पूरा अध्यन किया | और बम बनाया 1945 में । परमाणु बम जैसी किसी चीज़ के होने का पता भी इनको भगवद गीता तथा महाभारत से ही मिला इसमें कोई संदेह नहीं |
पूरा लेख यहाँ पढ़ें :——-
Read Comments